योगेश तेली गोगुंदा की कलम से।
सिरोही जिले के आबूरोड में एक छोटे से कस्बे से पली पढ़ी कामिनी प्रजापत से वर्ष 2018 में परिचय हुआ था। परिचय भी लाजवाब था लेकिन इनके व्यक्तित्व से मै काफी इंप्रेस हुआ था। जब मिला तो ये बतौर ग्राम विकास अधिकारी उदयपुर जिले के गोगुंदा पंचायत समिति के मजावडी ग्राम पंचायत में पोस्टेड थी। ये वो दौर था जब सभी ओर हाहाकार मचा हुआ था कोविड की खतरनाक दस्तक के बीच ये घर घर जाकर लोगो को राशन सामग्री वितरण करवाने ओर लोगो की तकलीफ में हिस्सा बन रही थी। एक अकेली लड़की अपने घर परिवार से दूर रहकर नौकरी करना किसी मुश्किल से कम नहीं। दिनभर पंचायती राज में नेताओं की झिकझिक और काम का दबाव मन को विचलित कर देता है। गोगुंदा में अकेले किराए पर रहना और इस सब के बीच अपने लक्ष्य को नहीं भूलना वाकई में मुश्किल काम है। मुलाकात के दूसरे पड़ाव में इनसे बातचीत हुई तो इनसे मैने पूछा था कि आप सचिव क्यों बनी आप तो आईएएस या आरएएस के काबिल हो। मेरी बात में हामी भरते हुए इन्होंने कहा कि मेरा लक्ष्य वहीं है लेकिन मैं अभी जो मिला है उसमें पूरी शिद्दत से काम कर रही हु। मुलाकात का तीसरा दौर काफी लाजवाब रहा। इनके साथ के अन्य साथी ओर हम सभी लोग काफी साथ रहे इनके साथ काफी समय बिताया और वाकई इनका व्यक्तित्व नजदीक से जाना तो ये तब भी उतनी ही मजबूत ओर अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित थी। ये वो दौर था जब इन्होंने गोगुंदा से जाने की इच्छा जताई। हम सभी ने इनकी मदद की ओर इनकी इच्छा अनुसार इन्हें यहां से इनके घर के पास अलविदा किया। यहां से जाने के बाद भी ये लगातार संपर्क में रही अपनी पढ़ाई और कैरियर को लेकर अक्सर चर्चाएं ओर बातचीत होती रहती थी। इनके कैरियर का दूसरा बड़ा मुकाम मिला जब ये जीएसटी विभाग में बतौर उपायुक्त पद पर चयनित हुई। इतने ऊंचे औदे पर जाने के बाद भी ये रुकी नहीं ओर संघर्ष करते हुए आखिरकार इन्होंने अपनी वो मंजिल पाई जिनकी आस ओर ललक इनके मन में शुरुआती दौर से भरी हुई थीं। ये राजस्थान प्रशासनिक सेवा में जनजाति क्षैत्र से पूरे राजस्थान में दूसरे नंबर पर आई।
“समस्याएं तो आएगी लेकिन हमें अपने लक्ष्य को नहीं भूलना चाहिए ये कामिनी जी ने सिद्ध किया”

